कुछ लोगों के शरीर में अल्कोहल की समस्या होती है। यह समस्या मानसून में ज्यादा होती है। इस प्रकार छोटी आंत में खराब पित्त अधिक मात्रा में पाया जाता है। जिससे शरीर में कई तरह की समस्या हो जाती है।
हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ की समस्या पाई जाती है। यह पित्त की समस्या हमारी छोटी आंत, बड़ी आंत और पेट में पाई जाती है। जब यह पित्त अधिक मात्रा में मौजूद होता है तो यह विकारग्रस्त पित्त समस्या शरीर में अवशोषित हो जाती है और रक्त में मिल जाती है।
कई लोग इस समस्या को दूर करने के लिए उपाय करने के बजाय दवाईयों का सेवन करते हैं। लेकिन इस तरह से दवा का इस्तेमाल करने से शरीर में साइड इफेक्ट हो जाते हैं। लेकिन योग और आयुर्वेद से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। इन दोनों प्रयोगों को करने से शरीर से पित्त निकल सकता है। इस पित्त को संतुलित करने के लिए हम जो उपाय बता रहे हैं उन्हें करने से यह पित्त ठीक हो सकता है। इसके लिए हम सबसे पहले योग के जरिए इस समस्या से निजात पाने का उपाय बता रहे हैं।
अकर्ण धनुरासन नामक आसन पित्त की समस्या को दूर करने के लिए बहुत उपयोगी है। यह एक ऐसा आसन है जिसे हल्का नाश्ता करने के बाद भी किया जा सकता है। हालांकि इस आसन को कभी भी खाली जमीन पर नहीं करना चाहिए। भोजन के तीन घंटे बाद आसन करने से छोटी आंत और बड़ी आंत समेत हमारी आंतों में मौजूद पित्त व्रेचन यानी अतिसार के जरिए बाहर निकल जाता है। पित्त के लिए ये उपाय इस प्रकार करने से नसों में खिंचाव होता है।
इस प्रकार दोनों पैरों को बराबर रखते हुए दाहिने पैर को दूसरे पैर के ऊपर रखते हुए दाएं हाथ को बाएं हाथ के ऊपर से क्रॉस करें। इस पैर को अपने बाएं कान के पास लाएं। इस प्रकार कानों को छूने की स्थिति कर्ण धनुरासन का कारण बनती है। जितनी देर हो सके इस अवस्था में रहना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे पैरों को सीधा करें।
इसके बाद यही स्थिति दूसरे पैर पर भी करें। इसके साथ ही बाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा भी पकड़ा हुआ है। इस प्रकार बाएं पैर का अंगूठा दाएं पैर को छूता है। जितना हो सके सामान्य रूप से सांस लें। इस आसन को करने से पेट भर में छोटी और बड़ी आंतों पर दबाव पड़ता है, वायु और पित्त, वायु और पित्त मल के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। यह एक चक्कर पूरा करता है। इस चक्र को कम से कम पांच बार करें। जिसमें अधिकतम 10 चक्कर लगाए जा सकते हैं।
यह प्रयोग सुबह पांच से दस बार करें। ऐसा पांच बार शाम को खाली पेट करें। इस उपाय को करने से अगर कोई खराब ड्रिंक है तो वह बाहर आ जाती है। आयुर्वेद का कहना है कि वामन और विरेचन के जरिए हमेशा पित्त को बाहर निकालना चाहिए। अन्यथा, पित्ताशय की गंभीर बीमारियाँ हो जाएँगी। तो इस आसन को कोई भी कर सकता है।
यदि आयुर्वेद में बताए गए उपायों का पालन किया जाए तो आपको स्वादिष्ट वलोनाह खाना चाहिए। किसी को भी इसके दो चम्मच शाम को सोने से पहले सेवन करना चाहिए। इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है। जिन लोगों को कब्ज हो उन्हें यह उपाय करना चाहिए और जो लोग कोई अन्य चूर्ण लेते हैं उन्हें केवल एक चम्मच ही लेना चाहिए। तो इस उपाय को बंद करें और इस स्वादिष्ट विरेचन मंथन का सेवन करें।
इसलिए शुरू में हफ्ते में एक बार इस चूर्ण को लेना अनिवार्य है। इस चूर्ण का सेवन करने से अतिसार के कारण खराब पित्त निकल जाता है और पित्त रोगों से बचाव होता है। आप इस चूर्ण को हफ्ते में कई बार जैसे हफ्ते में एक बार ले सकते हैं।
यह चूर्ण बहुत स्वादिष्ट होता है और इसमें पित्त को शांत करने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा, इसमें सौंफ, चीनी, हरड़ जैसे सभी पित्त शामक होते हैं। इस उपाय को आप हफ्ते में एक या दो बार करें तो आपको बहुत फायदा होगा। यह उपाय कोई भी धर्मात्मा व्यक्ति कर सकता है। पित्त का क्रोध बढ़ जाने पर इसे लगातार दो या तीन दिन तक लेने से पित्त शांत होता है।
इस प्रकार यह अतिरिक्त पित्त को दूर करता है। इससे शरीर में कोई अतिरिक्त दुष्प्रभाव नहीं होता है। साथ ही शरीर में बिना किसी परेशानी के काम करता है। इसलिए इस आयुर्वेदिक उपाय को करना बेहद आसान है। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी।